Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
7 Jul 2023 · 2 min read

कविता के अ-भाव से उपजी एक कविता / MUSAFIR BAITHA

कविता के अ-भाव से उपजी एक कविता

पता नहीं कवि कोई कवि
कैसे अपनी रचना में
किसी भौगोलिक खंड विशेष से
धैर्य का एहसास पा लेते हैं
पा लेते हैं धीरज का आश्वासन
किसी से सहनशीलता का पाठ
दृढ़ता और अच्छे बुरे का प्रतिमान भी
पता नहीं कैसे किसी कवि को
किसी राष्ट्र से अविकल मिल जाता है

भारतीय महाद्वीप की एक कवयित्री ने
इस भूखंड में स्त्री-धैर्य पाया है
मानो एशिया में भारत पाक हैं धैर्य पर
और इधर पाक बांग्लादेश का आपसी धैर्य
न चल रहा हो उफान पर
है रंगभेद जैसे सहनशीलता की निशानी अफीका की नस्लभेदी रग राग में
और दृढ़ता जैसे अफ्रीका के बंदीगृह का प्रफुल्ल रहवासी हो
और जैसे नत हो गया हो अमेरिका अफ्रीका के आगे काम भर
और न हो अब भी दुनिया को अपने ठेंगे पर रखता मस्त वह

यूरो जैसे नहीं तना चाहता है डॉलर और पाउंड पर
न चलते हो जैसे शाह और मात का खेल
तमाम देश के करेंसियों के बीच
अस्तित्व और वर्चस्व प्राप्त करने की खातिर
और धैर्य और धर्म का व्यापार ही चल रहा हो जैसे
उच्छृंखल पूंजीवादी व्यवहार में डूबने को मजबूर संसार में

हर पारम्परिक अच्छी व्याप्ति जैसे खड़ी हो
स्त्री मान एवं अधिकार के विरुद्ध ही
कि अच्छे को खोने और बुरे को पकड़ने में
जैसे स्त्री स्वाभिमान की आमद
और स्त्री पीठ पर मर्द के हाथ का साथ होना होता हो
जरूरी रूप से निमित्त सुपाठ और सुख-चैन का

यूरोप का फैशन जैसे जागतिक फैशन-एका का दर्शन है
और प्रेरणा का एकमात्र स्रोत बना बचा हुआ है कवयित्री की निगाह में
और जैसे यूरोप का फैशन ही केवल चिपका पड़ा हो हमारे तन पर
और फैशन क्षेत्रे कोई स्वतंत्र करतब ही न चलते हों हमारे बसन-हलके में।

Language: Hindi
248 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr MusafiR BaithA
View all
You may also like:
गृहस्थ-योगियों की आत्मा में बसे हैं गुरु गोरखनाथ
गृहस्थ-योगियों की आत्मा में बसे हैं गुरु गोरखनाथ
कवि रमेशराज
कुछ टूट गया
कुछ टूट गया
Dr fauzia Naseem shad
" ढले न यह मुस्कान "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
देश की संस्कृति और सभ्यता की ,
देश की संस्कृति और सभ्यता की ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
माना आज उजाले ने भी साथ हमारा छोड़ दिया।
माना आज उजाले ने भी साथ हमारा छोड़ दिया।
सत्य कुमार प्रेमी
*कुकर्मी पुजारी*
*कुकर्मी पुजारी*
Dushyant Kumar
आडम्बर के दौर में,
आडम्बर के दौर में,
sushil sarna
अब तो  सब  बोझिल सा लगता है
अब तो सब बोझिल सा लगता है
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
हो गये अब अजनबी, यहाँ सभी क्यों मुझसे
हो गये अब अजनबी, यहाँ सभी क्यों मुझसे
gurudeenverma198
अपनी ही हथेलियों से रोकी हैं चीख़ें मैंने
अपनी ही हथेलियों से रोकी हैं चीख़ें मैंने
पूर्वार्थ
শিবের গান
শিবের গান
Arghyadeep Chakraborty
संवेदना
संवेदना
Shama Parveen
सुंदर विचार
सुंदर विचार
Jogendar singh
कहना क्या
कहना क्या
Awadhesh Singh
4141.💐 *पूर्णिका* 💐
4141.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
कलयुग की छाया में,
कलयुग की छाया में,
Niharika Verma
छा जाओ आसमान की तरह मुझ पर
छा जाओ आसमान की तरह मुझ पर
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी "
वक्त
वक्त
Shyam Sundar Subramanian
*दुष्टों का संहार करो प्रभु, हमसे लड़ा न जाता (गीत)*
*दुष्टों का संहार करो प्रभु, हमसे लड़ा न जाता (गीत)*
Ravi Prakash
पाती कोई जब लिखता है।
पाती कोई जब लिखता है।
डॉक्टर रागिनी
शीतलहर (नील पदम् के दोहे)
शीतलहर (नील पदम् के दोहे)
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
"जब-जब"
Dr. Kishan tandon kranti
चिड़िया
चिड़िया
Dr. Pradeep Kumar Sharma
किसी से प्यार, हमने भी किया था थोड़ा - थोड़ा
किसी से प्यार, हमने भी किया था थोड़ा - थोड़ा
The_dk_poetry
तन्हायी
तन्हायी
Dipak Kumar "Girja"
उन्हें क्या सज़ा मिली है, जो गुनाह कर रहे हैं
उन्हें क्या सज़ा मिली है, जो गुनाह कर रहे हैं
Shweta Soni
Your Ultimate Guide to Excelling in Finance Assignments
Your Ultimate Guide to Excelling in Finance Assignments
Angelika Wartina
तुम्हारे दिल में इक आशियाना खरीदा है,
तुम्हारे दिल में इक आशियाना खरीदा है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
गम में वह कुवत है कि,
गम में वह कुवत है कि,
TAMANNA BILASPURI
इश्क़ कमा कर लाए थे...💐
इश्क़ कमा कर लाए थे...💐
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
Loading...