” कविता की डोली “
?????????????????
हृदय से निकलती यही गुहार है ,
मौसम भी बेशुमार है ,
खुशियां भी अपार है ।
तेरे हाथों की आलू की भुजिया – रोटी की यादें भी कमाल है ,
दूर तक चलते – चलते मेरे हाथों को पकड़े रहना मुझे आज भी याद है ।
मुझे अकेले देख मेरे साथ बैठ मेरे आंखों में दर्द पढ़ना तु बेमिसाल है ,
निकलते हैं आंखों से आशु क्योंकि हमारी दोस्ती भी यादगार है ।
आज भी मुझे देख गले लगाना तेरा दीदार है ,
तु हृदय खुबसूरती की जीती-जागती मिसाल है ।
मेरे कलम से लिखी कविता की तु सार है ,
तु मेरे जीवन में दोस्तरूपी वरदान है ।
तेरे लिए हर दिन जैसे इतवार है ,
हर मुश्किल में मुस्कराने वाली एक अवतार है।
तेरे साथ हम सबका प्रेम-आशिर्वाद है ,
जीवन में नए सफर की होने वाली शुरुआत है ।
नखरे तो नहीं लेकिन हृदय में उसके बहुत प्यार है ,
जो भी हो तु ही तो एक मेरी यार है ।
तुम्हारे जीवन के हर खुशी के लिए ज्योति कुर्बान है ,
क्योंकि कुछ ही दिनों में तु डोली पर होने वाली सवार है ।
( 15 अप्रैल 2020 :-
ये कविता मेरी बचपन से अब तक की सहेली कविता के लिए है जिसके जीवन में एक नया चरण आने वाला है यानी उसका विवाह होने वाला है । )
? धन्यवाद ?
✍️ ज्योति ✍️
नई दिल्ली