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12 Mar 2020 · 1 min read

” कविता की डोली “

?????????????????

हृदय से निकलती यही गुहार है ,
मौसम भी बेशुमार है ,
खुशियां भी अपार है ।

तेरे हाथों की आलू की भुजिया – रोटी की यादें भी कमाल है ,
दूर तक चलते – चलते मेरे हाथों को पकड़े रहना मुझे आज भी याद है ।

मुझे अकेले देख मेरे साथ बैठ मेरे आंखों में दर्द पढ़ना तु बेमिसाल है ,
निकलते हैं आंखों से आशु क्योंकि हमारी दोस्ती भी यादगार है ।

आज भी मुझे देख गले लगाना तेरा दीदार है ,
तु हृदय खुबसूरती की जीती-जागती मिसाल है ।

मेरे कलम से लिखी कविता की तु सार है ,
तु मेरे जीवन में दोस्तरूपी वरदान है ।

तेरे लिए हर दिन जैसे इतवार है ,
हर मुश्किल में मुस्कराने वाली एक अवतार है।

तेरे साथ हम सबका प्रेम-आशिर्वाद है ,
जीवन में नए सफर की होने वाली शुरुआत है ।

नखरे तो नहीं लेकिन हृदय में उसके बहुत प्यार है ,
जो भी हो तु ही तो एक मेरी यार है ।

तुम्हारे जीवन के हर खुशी के लिए ज्योति कुर्बान है ,
क्योंकि कुछ ही दिनों में तु डोली पर होने वाली सवार है ।

( 15 अप्रैल 2020 :-
ये कविता मेरी बचपन से अब तक की सहेली कविता के लिए है जिसके जीवन में एक नया चरण आने वाला है यानी उसका विवाह होने वाला है । )

? धन्यवाद ?

✍️ ज्योति ✍️
नई दिल्ली

Language: Hindi
3 Likes · 201 Views
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