कविता की उत्पत्ति
दर्द की ज्वाला जब फूटती है
तो कविता खुदबखुद निकलती है
प्यार की डोर जब टूटती है
तो कलम खुदबखुद चलती है
मन जब अंदर से रोता है
तो शब्दों का सैलाब आता है
और अपना दर्द लिखते लिखते
वो ग़ालिब बन जाता है
-रमाकान्त पटेल
झाँसी उ.प्र.
दर्द की ज्वाला जब फूटती है
तो कविता खुदबखुद निकलती है
प्यार की डोर जब टूटती है
तो कलम खुदबखुद चलती है
मन जब अंदर से रोता है
तो शब्दों का सैलाब आता है
और अपना दर्द लिखते लिखते
वो ग़ालिब बन जाता है
-रमाकान्त पटेल
झाँसी उ.प्र.