कविता की आलोचना में कविता
पढ़िए गीता
फिर बन किसी की
आंखमूंद अनुगामी परिणीता
जिमी द्रौपदी
वरगाही या पांच पति तक
पाकर पति निज घर बार बसाइए
और दर्जनों संतान कमाइए!
पढ़िए गीता
फिर बन किसी की
आंखमूंद अनुगामी परिणीता
जिमी द्रौपदी
वरगाही या पांच पति तक
पाकर पति निज घर बार बसाइए
और दर्जनों संतान कमाइए!