कविता कवि का प्यार
जो मन के भावों को,
कोरे कागज पर उतार दे,
बसन्त को प्रकृति का,
उपहार बना श्रृंगार दे,
कविता उस कवि को प्यार दे।
जो हवाओं नदियों झरनों,
के धुन को सुर करार दे,
जो शांत सागर में भी मन,
जैसी लहरों को उभार दे,
कविता उस कवि को प्यार दे।
गर हो घनेरी रात अंधेरी ,
किरण पुंज दिलों में बार दे,
जो पंगु को गिरी चोटियों पे,
ले जाकर उतार दे ,
कविता उस कवि को प्यार दे।
आस की जब लौ बुझे,
कर आँखे चार चार दे,
समां रोशन करने खातिर,
जो जुगनू बन उजार दे,
कविता उस कवि को प्यार दे।
बीच भँवर जब जीवन नैया,
डूबती हिचकोले खाये,
एक कवि की कलम जब,
तिनका बन सहार दे,
कविता उस कवि को प्यार दे।
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अशोक शर्मा,लक्ष्मीगंज, कुशीनगर
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