कविता :– इस झंडे का गुणगान करें !!
!! इस झण्डे का गुणगान करें !!!!
सब प्रांगण मे एकत्र हुए
फिर देश फिरंगी मुक्त किये ,
कारगर थी उपयुक्त नीति
जो मिली हमे संयुक्त जीत !
अजय अभय है निर्भय काया
निर्मल दामन जैसी छाया ,
सहस्त्र भुजाओ का बल देता
रक्त कणों से रंग कर आया !
हम अपना एक पल कुर्वान करें !
इस झण्डे का गुणगान करें !!
जाति धर्म और रंग रूप
ले जाती एक व्यथित कूप ,
धूप आंच और दूसित छाव
पीडा देते जख्मी घाव !
सदभाव भरा अपना जीवन
सच्चाई पे कर दे अर्पण ,
प्रेम भाव और भाईचारा
दूर करेगा जग अन्धियारा !
भाव भरा इन्सान बने !
इस झण्डे का गुणगान करें !!
ऐसे अमिट ये कदम चिन्ह
मुश्किल थोडे भिन्न-भिन्न ,
मन मे जब अनुभूति हुई
मौत यहां भयभीत हुई !
गम्भीर बडी तेरी रुधिर बूंद
सिद्धत पे शीश झुका देती ,
उबल पडे यूं प्रवल रुधिर
इज्जत पे शीश कटा देती !
झण्डे पर अभिमान करें !
इस झण्डे का गुनगान करें !!
ऊंच-नीच की बात ना हो
रंग भेद पे घात ना हो ,
जात नहीं इस झण्डे की
वो गम की काली रात ना हो !
लाल हरे मे कैसा दंगा
सबका अपना एक तिरंगा ,
रंग भरें दिल मे उमंग का
पथिक बनें हम प्रवल प्रचण्डा !
आओ इसका सम्मान करें !
इस झण्डे का गुणगान करें !!
विकट विराट इरादे अपने
साझा करते मीठे सपने ,
संग चलने संग बढने वाले
अमिट अडिग हम अड़नें वाले !
रंग भरा महके गुलशन
ये अमन चैन का देता जीवन ,
दामन खुशियों से भरने वाले….
मेरे सात जन्म तुझ पर अर्पण !
आओ खुद का बलिदान करें !
झण्डे का गुणगान करें !!
अनुज तिवारी “इन्दवार”