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28 Oct 2020 · 2 min read

कविता: इंसान की हकीकत ( काव्य संग्रह :- सुलगते आँसू)

इंसान की हकीकत

इंसान क्या है और इसकी हकीकत क्या है…?
एक ऐसा सवाल..
जिसे हर कोई सदियों से…
जानना चाह रहा है, समझना चाह रहा है..!

दुन्या के सभी लोग…
चाहे वो समाजशास्त्री हो,दार्शनिक हो…
या हो फिर कोई वैज्ञानिक,
हर कोई इस उलझे सवाल को सुलझाना चाह रहा है,
और हर किसी ने
अपने अपने तरीके से सुलझाना चाहा
लकिन अफ़सोस
कोई भी आज तक इसे सुलझा नहीं पाया
और इस उलझे सवाल में खुद उलझ कर रह गया
आखिर इंसान क्या है, और इसकी हकीकत क्या है…?

मै सोचता हूँ
खुदा ने इस दुन्या जितने भी मखलूक बनाए…
उन सभी मखलूकों में…
इंसान इस कायनात की…
सबसे पूरी, सबसे मुकम्मल, और…
कायनात की सबसे अजीब चीज भी है…!

अगर निडर हो तो…
शेर के मुँह में भी हाथ डाल देता है…!
और डरने पर आये तो..
एक मामुली सी चुहिया को देख कर चीखें मारने लगता है…!!

अगर फैय्याजी व दरयादिली पर आये तो…
अपना घर-बार सब लुटा देता है…!
और तंगदिली दिखाए तो…
दूसरों के मुँह से निवाला तक छीन लेता…!!

अगर दोस्ती का हक़ अदा करे तो…
दोस्तों पर अपनी जान तक निछावर कर देता है…!
और दुश्मनी पर आये तो…
बेरहमी से तड़पा-तड़पा कर दूसरों को मार डालता है…!!

अगर बनाने पर आये तो…
रेगिस्तान को भी गुलजार बना देता है…!
और बिगाड़ने पर आये तो…
बने बनाये घर को जलाकर फूँक डालता है…!!

अगर दिल में कशक महसूस करे तो…
अपना तन-मन-धन सब वार देता है…!
और बेरहमी पर आये तो…
चीखों को सुनकर तालियां बजाता है…!!

अगर मुहब्बत करे तो…
महबूब के तलवे से आँख रगड़ता है…!
और नफरत पर आये तो…
सामने वाले को झुका कर जमीन पर नाक से लकीरें खिंचवाता है…!!

अगर सूझ-बुझ से काम ले तो..
आसमान में कमन्दे डाल देता है…!
और हिमाकत पर आये तो…
पेड़ की उसी डाली को काटता है, जिस पर उसका बसेरा है…!!

इंसान क्या है और इसकी हकीकत क्या है…?
कुछ समझ में नहीं आता…
मै अक्सर सोचता हूँ…
इंसान की हकीकत किया है…??

माँ की गोद में नन्हा-मुन्ना सा वजूद…
फिर पाँव-पाँव दौडता हुआ मासूम सा बच्चा…
किताबे संभाले हुए स्कूल जाता नव-उम्र लड़का…
फिर मंजर बदलता है और उसकी जगह…
थका हुआ अधेर आदमी…
और सबसे आखिर में…
काउंट-डाउन में मसरूफ…
लाठी थामे हुए मौत का मुन्तज़िर एक बूढ़ा वजूद…!!

यही कहानी सदियों से दोहराती चली आ रही है…
और ता-क़यामत दोहराई जाती रहेगी…
क्या है इंसान की हक़ीक़त…
कुछ समझ में नहीं आता…!!

सच कहो तो..
मुझे ऐसा लगता है जैसे…
मौत ही इंसान की हकीकत है, सच्चाई है…
जिसे हर कोई जान कर भी, समझ कर भी…
जाने क्यों समझना नहीं चाहता…!!

जिसे हर कोई जान कर भी, समझ कर भी…
जाने क्यों समझना नहीं चाहता…!!

Language: Hindi
1439 Views
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