कविता-अश्रु बहाना छोड़ दिया।।
मुश्किलों से अब हमनें घबराना छोड़ दिया,
छोटी छोटी बातों पर अश्रु बहाना छोड़ दिया।
उम्मीद का दामन पकड़ा है जब से हमनें,
निराशा ने इस दिल का आशियाना छोड़ दिया।
आस की ज्योति जलाई अपने मन-मंदिर में मैंने
अंधेरे ने बात-बात पर हमकों डराना छोड़ दिया।
जोश,उमंग और उत्साह से सींच लिया स्वयं को,
विश्वास के पुष्पों ने फिर कुम्हलाना छोड़ दिया।
ठोकर लगने पर जबसे सीख लिया सम्भलना हमनें,
हौसलों ने शूल भरी राहों में डगमगाना छोड़ दिया।
चाह यही ‘स्वाति’ की,चमके सदा स्वाति नक्षत्र की तरह,
हताशा के काले बादलों ने इर्दगिर्द मंडराना छोड़ दिया।।
By:Dr Swati Gupta