कविताएं
यें कविताएं
चंद शब्दो का क्रम नही
इनमे जीवन का ख्वाब है लिखा ।
होते है अनगिनत सवाल
उन हर सवालों का जवाब है लिखा
लिखी है इनमे कुछ कल्पनाएं कुछ हकीकत
महसूस किया जो हर वो जज़्बात है लिखा।।
ये कविताएं
चंद शब्दो का क्रम नही
इनमे मां की ममता , पिता का राज़ लिखा
अपने प्रेम को देख प्रेमी के
मन में आए गीत का साज़ है लिखा
लिखी है इनमे मित्रता की कसमें
और उन कसमों को निभाने का अंदाज़ है लिखा।।
ये कविताएं
चंद शब्दो का क्रम नही
इनमे दादी नानी की कहानियों का ज्ञान लिखा
बचपन में जो खेलते थे
वो गिल्ली डंडे , वो कंचे और वो बड़ा मैदान लिखा
लिखी है इनमे गांव की पगडंडियां
शहर में ढूंढते , खुला आसमान है लिखा।।
ये कविताएं
चंद शब्दो का क्रम नही
इनमे जिंदगी का हर एक पड़ाव है लिखा
कितने ही मन में दबाए है
उन सबके मानसिक घाव को है लिखा
लिखी है इनमे सारी उलझने
इन्हे सुलझाने के लिए खेले दांव को लिखा।।
ये कविताएं
चंद शब्दो का क्रम नही
इनमे देश की अंखंडता एकता को लिखा
जिस बात का करते गौरव गान
उस फैली हुई विभिन्नता को लिखा
लिखी है तिरंगे में लिपटी शहादत
उस मां के वीर की वीरता को लिखा।।
ये कविताएं
चंद शब्दो का क्रम नही
इनमे भविष्य वर्तमान इतिहास लिखा
ये जमीन है त्योहारों को
हर एक उत्सव का उल्लास है लिखा
लिखी है इसमें मिट्टी की खुशबू
और इस खुशबू से पनपता एहसास लिखा ।।
ये कविताएं
चंद शब्दो का क्रम नही
इनमे धर्म जात में बंटता इंसान लिखा
जो संवेदनाओं से है खेल रहे
उन्हें धर्म का ठेकेदार लिखा है
लिखी है चर्च में बैठ गुरुवाणी
इनमे कही अल्लाह कही राम लिखा ।।
ये कविताएं
चंद शब्दो का क्रम नही
इनमे लिंग भेद रंग भेद करते समाज को लिखा
कितने ही वर्षो से घूट रही
उन सारी बंद आवाज को लिखा
लिखी है कल्पना की उड़ान
इनमे ओबामा का अमेरिका पर राज लिखा।।
ये कविताएं
चंद शब्दो का क्रम नही
इनमे युद्ध में मारता हर एक इंसान लिखा
बम बारूदो से भरी है तोपे
उन तोपो से बनता शमशान लिखा
लिखी है भय की चीख पुकारे
इनमे हर बंदूक की गोली का है अंजाम लिखा।।
शुन्या