“कविताई”
“कविताई”
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“कविताई” करना इतना आसान नहीं;
लिखने का, मुझे भी कोई ज्ञान नही।
लिखता हूं,बस कुछ सच्चाई बताने को;
आज के अदृश्य परिवेश को समझाने को।।
आप इस लेखन को, न अन्यथा लें;
इसे पढ़कर मन में, न कोई व्यथा लें।
ये जीवन में आपके, काम ही आयेगी;
रह- रह कर आपको, मेरी याद दिलाएगी।।
जीवन में हर जगह दुखों का अंबार हैं,
जहां देखो , सजता दुखियों का बाजार है।
वैसे, “दुख और वियोग” में लेखन अच्छा होता है,
लिखने वाला पल-पल अपना दुखड़ा रोता है।।
मैं काव्य सृजन में अगराता नहीं हूं,
लेखन कार्य में मिचराता नहीं हूं।
बस, मेरे जो अपने शब्द हैं ;
मैं, सिर्फ बताता वही हूं ।।
ईमानदारी ही अच्छी सृजन का आधार है,
इसमें नही कभी शब्दों का व्यापार है।
अब तो, छद्म पे ही टिका ये लेखन का संसार है;
ये तो साहित्य प्रेमियों पर अत्याचार है।।
मेरी हर कविता को बारंबार पढ़ें;
पढ़कर, आप भी कुछ अच्छे शब्द गढ़ें।
इससे क्या जाता है, आपका;
आप भी जीवन में अगर अच्छा करें।।
लोभ लालच का इसमें भय नहीं;
रचित शब्दो से, आपने अगर अपनी बात कही।
ना मन पर बोझ होगा, ना जीवन पर बोझ होगा;
और आपका, काव्य सृजन भी रोज होगा।।
वैसे ही, हर जीवन में रहता कई तनाव;
सुख -चैन का रहता यहां सबको अभाव।
“कवित्व गुण” ही डालेगा इस पर प्रभाव,
फिर हो जायेगा आपको भी, कविता से लगाव।।
स्वरचित सह मौलिक
पंकज “कर्ण”
कटिहार
संपर्क = 8936068909