कवाब पर हड्डी
माना की बहरे हो
पर अन्धे भी हो
ये तुमने सिद्ध कर दिया,
अब दिमाग
कोई मायने नहीं रखता,
जो मन आये वो करो
ऐसा भी हरगिज़ नहीं होगा.
आज विरासत पर सियासत
सियासत में देनदारी भूल गये
देन है ये किसकी
उस विधान को भूल गये
इकट्ठा हुए थे लोग
जिस वजह से
जिसके मारफत
आज उस सूत्रधार पर
फिर कवाब की हड्डियां डाल दी.