Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
6 Sep 2021 · 1 min read

कवच

नई इक नीव रखनी है ज़माने को जगाना है
सुनो फलदार वृक्षों को, जतन कर अब बचाना है
तले बैठे हो तुम जिनके , कभी मत काटना जड़ से
कवच वो तुमरे जीवन का, उन्हीं से आशियाना है

© डॉ0० प्रतिभा ‘माही’ पंचकूला

Language: Hindi
2 Likes · 351 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr. Pratibha Mahi
View all
You may also like:
दंभ हरा
दंभ हरा
Arti Bhadauria
20. सादा
20. सादा
Rajeev Dutta
मैं भटकता ही रहा दश्त-ए-शनासाई में
मैं भटकता ही रहा दश्त-ए-शनासाई में
Anis Shah
वो दो साल जिंदगी के (2010-2012)
वो दो साल जिंदगी के (2010-2012)
Shyam Pandey
पढ़ता  भारतवर्ष  है, गीता,  वेद,  पुराण
पढ़ता भारतवर्ष है, गीता, वेद, पुराण
Anil Mishra Prahari
अंधा इश्क
अंधा इश्क
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
तेरी वापसी के सवाल पर, ख़ामोशी भी खामोश हो जाती है।
तेरी वापसी के सवाल पर, ख़ामोशी भी खामोश हो जाती है।
Manisha Manjari
ये दुनिया है
ये दुनिया है
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
मजबूरियों से ज़िन्दा रहा,शौक में मारा गया
मजबूरियों से ज़िन्दा रहा,शौक में मारा गया
पूर्वार्थ
3160.*पूर्णिका*
3160.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
मिलना था तुमसे,
मिलना था तुमसे,
shambhavi Mishra
"पँछियोँ मेँ भी, अमिट है प्यार..!"
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
चलो कल चाय पर मुलाक़ात कर लेंगे,
चलो कल चाय पर मुलाक़ात कर लेंगे,
गुप्तरत्न
रात अज़ब जो स्वप्न था देखा।।
रात अज़ब जो स्वप्न था देखा।।
पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप"
सदियों से रस्सी रही,
सदियों से रस्सी रही,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
नहीं उनकी बलि लो तुम
नहीं उनकी बलि लो तुम
gurudeenverma198
मित्र
मित्र
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
*गैरों से तो संबंध जुड़ा, अपनों से पर टूट गया (हिंदी गजल)*
*गैरों से तो संबंध जुड़ा, अपनों से पर टूट गया (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
■ आज का मुक्तक
■ आज का मुक्तक
*Author प्रणय प्रभात*
ସାର୍ଥକ ଜୀବନ ସୁତ୍ର
ସାର୍ଥକ ଜୀବନ ସୁତ୍ର
Bidyadhar Mantry
हम अपने प्रोफाइल को लॉक करके रखते हैं ! साइबर क्राइम के परिव
हम अपने प्रोफाइल को लॉक करके रखते हैं ! साइबर क्राइम के परिव
DrLakshman Jha Parimal
वो बदल रहे हैं।
वो बदल रहे हैं।
Taj Mohammad
दो कदम
दो कदम
Dr fauzia Naseem shad
संयुक्त परिवार
संयुक्त परिवार
विजय कुमार अग्रवाल
जवानी में तो तुमने भी गजब ढाया होगा
जवानी में तो तुमने भी गजब ढाया होगा
Ram Krishan Rastogi
वो ज़ख्म जो दिखाई नहीं देते
वो ज़ख्म जो दिखाई नहीं देते
shabina. Naaz
पुरानी ज़ंजीर
पुरानी ज़ंजीर
Shekhar Chandra Mitra
बाल बिखरे से,आखें धंस रहीं चेहरा मुरझाया सा हों गया !
बाल बिखरे से,आखें धंस रहीं चेहरा मुरझाया सा हों गया !
The_dk_poetry
“ज़िंदगी अगर किताब होती”
“ज़िंदगी अगर किताब होती”
पंकज कुमार कर्ण
हर खुशी पर फिर से पहरा हो गया।
हर खुशी पर फिर से पहरा हो गया।
सत्य कुमार प्रेमी
Loading...