कल?
शीर्षक – कल कैसा हो
सोच हमारीं कल कैसा हो।
मन भावों में रिश्ते सच हो।
कल कैसा हो आपके साथ हो।
जीवन और जिंदगी मस्त हो।
हां हम सबका कल कैसा हो।
कल कैसा हो साथ निभाना हो।
सच और फरेब हम रखतें हो।
बस हमारा कल कैसा हो।
सोच हमारीं तुम्हारी अच्छी हो।
हकीकत के साथ कल ऐसा हो।
न सोच कल की आज तुम हो।
सुबह-सुबह की ओस हम हो।
हमें उम्मीद के साथ कल कैसा हो।
आओ मिलकर सोचे कल कैसा हो।
नीरज अग्रवाल चंदौसी उ.प्र