कल वो ढहे थे,कल तुम ढहोगे
आज सभी आम-जन के घर में मची हुई है तबाही
कारण कोई और नहीं है बस है तो सिर्फ महंगाई
दूध,दवा और राशन की कीमत ने जेबों में आग लगाई
दो दिन में चंपत होती माह भर की मेहनत की कमाई।।
डिग्रीधारक जो घर बैठे हैं उन्हें लोग कहते हैं बेकार
हजारों नियुक्तियां रोज हो रही,ऐसा कहते है अखबार
जिनका काम सिर्फ फाइलों में और प्रचार चहुं ओर
ऐसे कर्मठ,कर्मशील लोगों को,हम कहते हैं सरकार ।।
पेट्रोल,डीजल शतकवीर है और गैस हजार के पार
उज्ज्वला योजना करती जा रही अन्न योजना बेकार
गायों की भी राजनीति और दूध भी हुआ पहुंच के पार
देखो कितनी तेज भागती जा रही विकास की रफ्तार।।
अमीर हो रहे अमीर पर गरीबों में होता न सुधार
मुफ्त रेवाड़ियों का लालच देकर नेता बनाते है सरकार
जीत सदन में पहुंच फिर पांच वर्ष मौज मनाते है
और जनता से किए वादों को हंसकर वो भुलाते है।।
हर घर तिरंगा हो और दीप जले ये सब है स्वीकार
मन की बातें भी रोज करो हमें नहीं कोई प्रतिकार
शासन और कुर्सी मोह में पर इतने लिप्त न हो जाओ
कि सुन ही न सको तुम जनता की जरूरत और पुकार।।
और जाते-जाते तुमको इक सच और बताता हूं
और जीत के अभिमान की सच्चाई भी बताता हूं
सोशल मीडिया पर दे देते हो दोष कांग्रेस को
कल जब लोगों से खुद मिलोगे तो क्या कहोगे
टाल देने भर से बदलती नहीं है सच्चाईयां
कल वो ढहे थे,कल तुम ढहोगे।।