कल रात
कल रातभर चराग जलता ही रहा ,वक्त भी धीरे-धीरे सरकता ही रहा।
तसवीर तेरी हाथ मेंं लिए मैंं बैठा ही रहा,देखकर दिल मेरा थोडा-थोडा दरकता ही रहा कल रात भर…
होश भी बेहोशी को देखता ही रहा,चाँँद सूरज का इंंतजार करता ही रहा कल रात भर …..
इश्क तेरे वजूद को तलब करता ही रहा,अरमांं तेरी याद मैंं करवटेंं बदलता ही रहा कल रात भर ….
बंंदगी खुदा की कम तेरी मैंं करता ही रहा,दुआँँओंं मेंं भी मै तेरा ही नाम लेता रहा कल रात भर …..
जमाना मेरी दिवानगी पर हँँसता ही रहा,जलते हुए अपना मकांं मैंं देखता ही रहा कल रात भर…….
शंंहशाहो की भीड़ मेंं मैंं हमेशा चलता ही रहा,पर दिल तो फकीरी मेंं मेरा बसता ही रहा कल रात भर …..
मौत का इंंतजार हर पल मैंं करता ही रहा,जिंंदगी तुझसे बस शिकवा ही मैंं करता रहा कल रात भर…….
इम्तिहान वक्त क्योंं हमेशा मेरा लेता ही रहा,खामोशी से उसको मैंं भी तो बस सहता ही रहा कल रात भर…….
अपनोंं को छोड़ गैरोंं मेंं मैंं खुद को ढुँँढता ही रहा,ये सिलसिला सदियोंं तलक चलता ही रहा कल रात भर…..
आँँसुओंं का सैलाब इस कदर बहता ही रहा,दामन अपना ही मैंं तो भिगोता ही रहा कल रात भर ……
खाव्बोंं पर सख्तियोंं के पहरे मैंं लगाता ही रहा,तनहाईयोंं को मैंं अपनी पर्दो मेंं छिपाता ही रहा कल रात भर ……
#सरितासृृजना