कल मेरा दोस्त
कल मेरा दोस्त मुझसे रूठ गया
जीते जी ही मुझे छोड़ गया
गुरु था कभी था वो मित्र भी
हर बन्धन से मुक्त हो गया
खुद तो सब्र से काम कर गया
मेरे हिस्से में गम तमाम कर गया
ख़ून के आँसू रुला कर गया
अज़नबी हमें बता कर गया
साथ तोहमत ये लगा कर गया
दोस्ती एक तरफा हैं बता कर गया
गैरो के संग मिलकर
बिना खंजर के वार करके गया
तेरा मेरा रिश्ता एक भूल हैं
ये जातें जातें जता कर गया
लाख फरयाद की थीं मगर
जाना था उसे पीछा छुड़ा कर गया
दोस्ती होतीं नहीं इस दुनिया में सच्ची
झूठी बातों से बहला कर गया
रोयें बहुत हम भुला भी ना सकें
दिल से रिश्ता था मन से उतार कर गया
बता भी नहीं सकते उसका नाम
मेरा नाम लेकर गैर कह कर गया
मैं भी जख्म लेकर बैठी हूँ
जिसपर वो नमक लगाकर गया
खता किया हैं समझ नहीं आया
कुछ बता कर भी नहीं गया
मैं भी भूल जाऊँगी उसे
जो मुझे भुला कर गया
शमा परवीन