कल न होगा
सुनो ध्यान से अवनि वालों,
यदि धरा में जल न होगा।
प्राण ह्रदय से उखड़ जाएंगे,
तब तुम जानो कल न होगा।।1।।
आधुनिकता में जीने वालों,
यदि कृषक का हल न होगा।
तड़पेंगे सब तीव्र क्षुधा में,
तब खाने कोई फल न होगा।।2।।
समय के रहते सजग भी जाओ,
यदि आवरण शीतल न होगा।
तब सूख जाएंगे सरोवर सारे,
अंजुलि भर भी जल न होगा।।3।।
हमें अपने कर्मो को करने,
मन जब तक निर्मल न होगा।
दुश्मन से निपटेंगे कैसे,
यदि भुजा में बल न होगा।।4।।
स्वरचित
तरुण सिंह पवार