कल जब हम तुमसे मिलेंगे
कल जब हम तुमसे मिलेंगे,
रिक्तता जो है घिरी
सब साथ लेकर आयेंगे ।
प्रीत भरकर रिक्तता में
साथ लेकर जायेंगे ।
कल जब ……
ऐसा लगता दूर तुमसे
होके सब जड़ हो रहा है ।
अंग भी कुछ शिथिल ऐसे ।
रक्त जैसे जम गया है ।
कांपता मन शीत सा
स्वप्न सब भयभीत है ।
कल जब हम तुमसे मिलेंगे
सब शीत लेकर आयेंगे ।
भरकर उष्मा शीत में
सब संग लेकर जायेंगे ।
रोप लेंगे तन में मन में
प्रेम की उष्मा गहन
और उस उष्मा से ही
आशांकुर खिलाएंगे ।
कल जब हम तुमसे मिलेंगे
खुद को ही संग लायेंगे ।
और संग तुमको करेंगे
संग लेकर जायेंगे ।
जब रहोगे संग तुम
ज्वाल न मन को दहेंगे ।
तमस जो हमको डराते
वो कहीं फिर जा छिपेंगे ।
कल जब हम तुमसे मिलेंगे
एक प्राण हम हो जायेंगे ।
आने जाने का ये व्युत्क्रम
अब नहीं दोहरायेंगे ।
कल जब ……..