कल क्या हो जाए …
कल क्या हो जाए,
किसी को नहीं पता ।
आज खुश होकर जी ले,
क्यों किसी से रखें खता ।।
धन दौलत और शौहरत,
सब यहीं छूट जाएगा ।
हम खाली हाथ आए थे,
संग कुछ न जा पाएगा ।।
मानव तन मिट्टी का है,
कब कहाँ गल जाए ।
अपने अच्छे कर्मो से,
थोड़ा हम सम्मान पाए ।।
छल, कपट और झूठ,
यदि इनको सँग लाए ।
सुख, सुकून और शांति,
फिर पास कभी न आए ।।
हर श्वास पर है संकट,
धूल धुँआ खूब मंडराता ।
जल पवन और अग्नि,
जीवन मृत्यु के है दाता ।।
अपने सब कर्म ऐसे हो,
किसी को दुःख न पहुँचे ।
हँसते हँसाते हम जिए,
बनकर नेक और सच्चे ।।