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5 Jan 2020 · 1 min read

कल क्या होगा पता नहीं..

आज रुलाया है बहुत,
शरेआम कर बदनाम,
मेरी मोहब्बत को,
फ़िर क्यूँ ऐतबार इतना है,
कि भूल पायेगा नहीं,
आज तो भीगे है अश्क उसके,
कल क्या होगा पता नहीं ।

चंद सिक्कों की ख़ातिर,
नीलाम किया,
मेरे एहसास को,
यकीं कैसे करूँ,
मैं उसकी बातों का,
कहती है कि न होंगे जुदा,
कल क्या होगा पता नहीं ।

जुबाँ से न अब,
शब्द निकलते हैं,
न मन उसका अब मचलता है,
मेरे बेइंतहां प्यार-ए-मोहब्बत का,
अबतक तो कोई असर नहीं,
कल क्या होगा पता नहीं ।

1 Like · 1 Comment · 354 Views
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