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8 Jun 2023 · 1 min read

कल की माँ

कल की माँ

कल की माँ
तारों से झाँकती है
देखती है
अपने बच्चों/ बहुओं
जँवाई/नाती-पोतों को
अपने संसार में आगे बढ़ते हुए,
उसकी बेटी भी
माँ बन कर अपना
धर्म बखूबी निभा रही है
पाया जो उसने
अपनी संवेदनशील माँ से
स्नेह-दुलार, परम्पराएँ-संस्कार
जीवन जीने के सहज-सरल ढंग
गृहस्थी चलाने के गुर
मितव्ययिता के तरीके
वो सब समेट
बेटी को दे कर उसे
सामर्थ्यवान बना रही है
अपनी माँ को
हृदय में बसाए हुए
अपनी माँ बनती जा रही है,
और उसकी बेटी भी तो
बन गई माँ एक बेटे की
साथ ही बनने लगी है
माँ वो अपनी माँ की भी,
जानती है
जब से उसकी माँ ने
खोया है अपनी माँ को
उसके तुरंत बाद पिता को
छूट गया मायका
तो आज
नाना-नानी से
मिला खुशियों का भंडार
अपनी माँ पर लुटा रही है ,
आज मातृ दिवस पर
दोनों ने दी हैं फोन पर
एक-दूसरे को अशेष शुभकामनाएँ
ले लीं हैं अपने ऊपर
एक-दूसरे की बलाएँ।

#डॉभारतीवर्माबौड़ाई

1 Like · 283 Views
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