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18 Oct 2024 · 1 min read

कल की तलाश में आज निकल गया

इंसान वक्त के हाथों कितना छल गया
कल की तलाश में आज निकल गया

बचपन को खिलौने ने उलझाये रखा
गुड्डे – गुड़ियों को गोद में छुपाए रखा
पढ़ाई कभी चैन से ना सोने दिया
राह की मुश्किलों ने ना खुल के रोने दिया

मंजिल तक आते-आते उम्र ढल गया
कल की तलाश में आज निकल गया

अब नौकरी है चिंता चढ़ा अगले का
जमीन, बैंक बैलेंस, गाड़ी, बंगले का
कभी आ गये लोगो की निगरानी में
रो-रो कर जी हलकान किये नादानी में

कैसा कैसा लम्हा हाथ से फिसल गया
कल की तलाश में आज निकल गया

भरपूर जिंदगी जीने का हुनर न आ सका
हर हाल में खुश रहना पुनर न आ सका
जीवन कटी पतंग ना हो उठ जाओ
बैठो आकाश के नीचे बेसुरा गाओ

आइना देखो कितना कुछ बदल गया
कल की तलाश में आज निकल गया

नूर फातिमा खातून “नूरी”

Language: Hindi
55 Views

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