कल की खुशी का कारण
बातें कहाँ खुश कर पाती हैं.
ये तो स्वप्न है जो
कल पता नहीं कैसे आ गया.
खाते में .. कुछ रकम आ गई.
नोट पुराने से नये और एक हजार का नोट हमेशा के लिए बंद.
रेल, भेल, सेल, बिजली, पानी, इंडियन ऑयल कंपनी , सड़क/यातायात/वायु/संचार
कुछ भी अपना नहीं था.
आरक्षण खत्म करने के चक्कर में नौकरियां खत्म, घर जले तो जले पर आरक्षण वाले चूहे !
देखते है , कैसे जिंदा बचे.
मेरी आंख खुली.
पानी का लौटा उठाया.
मुंह धोया.
चाय पी.
और बेहद खुश था.
क्योंकि यह स्वप्न था.
मेरी खुशी का ठिकाना न रहा.
संविधान और लोकतंत्र जनता सब मिलकर भी स्वप्न को झूठा साबित न कर पाये.
मैं बेहद !
क्योंकि अंडभक्ति ने भारतवर्ष को सोने की चिडिय़ा से गरीब दरिद्र/भाषाई देश बनाये रखा है.