कल किसने रोटी खिलाई?
आज नींद न आई
सारी रात न आई
यह सोंच के न आई
कल किसने रोटी खिलाई?
आज मैं भूंखा
किसी ने न पूँछा
कपड़े गीले
तन है सूखा
काँपती ठिठुरती काया
नहीं माँ-बाप का साया
सुंदर जग मुझको भाया
साथ न छोंडे अपनी काया
कल किसने कंबल ओढाई?
कल किसने रोटी खिलाई?
माँ-बाप अधूरे
भगवान को प्यारे
थोड़ी खुशी दे दो
रहें किसके सहारे ?
लडखडाते हैं कदम हमारे
अभी लौटा दो बचपन हमारे
जिएं तो जिएं किसके सहारे ?
अब यह जीवन कैसे गुजारें?
कल किसने उंगली पकडाई?
कल किसने रोटी खिलाई?
ऊंघते अनमने
सामने सुंदर सपनें
माई-माई कहते
कोई होते अपने
कोई गीत गुनगुनाती
अपनी गोदी में सुलाती
सोजा प्यारा राज दुलारा
यह गीत बार-बार सुनाती
कल किसने लोरी सुनाई?
कल किसने रोटी खिलाई?