कल करो सुरक्षित
उग्र हो रहे सूर्य देवता,
हवा भी अब चुभती है।
भीषण गर्मी शोले बन,
घाव सी अब दुखती है।।1।।
यदि रहा ऐसा ही आलम,
संकट प्राणों पर आएगा।
होगी पृथ्वी एक हवनकुंड,
इसमे सबकुछ जल जाएगा।।2।।
पानी की एक बूंद के लिए,
बस युद्ध ही लड़े जाएंगे।
लड़ कुछ न मिला किसी को,
तब अपने ही तड़पे जाएंगे।।3।।
जीवन नाम है देने का,
लेने से न कोई बड़ा हुआ।
देती नदियां है शीतल जल,
खरा है समंदर पड़ा हुआ।।4।।
आज सुधारो अभी सुधारो,
किये जो हमने पाप है।
लगा पेड़ कल करो सुरक्षित,
वरना फिर पश्चाताप है।।5।।
स्वरचित कविता
तरुण सिंह पवार
11/06/2019