कल्पना
मिन्नतो के बाद
रूखसत होने से पहले
मुझसे रूबरू होगी इक दिन
रूह मेरी ।
साल दर साल
हंसते खेलते उसी के
साथ साथ गुजरी है सारी
जिन्दगी मेरी ।
हक है मेरा
उसे जान लेने का
जिसने लिखी है इक अलग
कहानी मेरी ।
हर पल महसूस किया है
जिसे अपने ही भीतर
प्रत्यक्ष होगी इक दिन वो
कल्पना मेरी ।।
राज विग 08.10.2020