कल्पना
मेरे मन की माटी में
बीज बन जब आए तुम
कल्पना की पौध तब
नवांकुर ले फूट आयी।
कल्पना के ये नवांकुर
वृक्ष होना चाहते है।
और ऊँचे उठकर वो
आकाश छूना चाहते है।
मेरे मन की माटी में
बीज बन जब आए तुम
कल्पना की पौध तब
नवांकुर ले फूट आयी।
कल्पना के ये नवांकुर
वृक्ष होना चाहते है।
और ऊँचे उठकर वो
आकाश छूना चाहते है।