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16 Jul 2020 · 1 min read

कली खिलती नहीं यारों

दवाई इश्क़ की जग में, कहीं मिलती नहीं यारों।
बने जो ज़ख्म गर दिल पर,कहीं सिलती नहीं यारों।
मुहब्बत की डगर में तो, मिले दुश्वारियाँ लेकिन-
बिना भँवरे के बागों में, कली खिलती नहीं यारों।

Language: Hindi
4 Likes · 2 Comments · 254 Views
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