कलियुग में गीता
गीता ग्रंथ है पवित्र , गीता ज्ञान का सागर ।
श्री कृष्ण ने सुनाई अर्जुन को ,वह युग था द्वापर ।
समय बदल गया पर, बदली ना गीता की महिमा ।
आज भी घटती जग में गीता,तोड़ के काल सीमा । कलयुग में घट जायेगी , धर्म,कर्म और मानवता ।
न्याय मिले उसी को ही , जिसके पास हो धनसत्ता।
डूबेगा सकल सृष्टि , चिंता के सागर में ।
व्याधि होगी विभिन्न, तन के इस गागर में ।
माता-पिता अनादर होंगे, पूजी जाएगी पत्थर।
तीस वर्ष ही जी सकेंगे, उम्र कम होगी घटकर ।
दूषित होगा जल, हर तरफ पड़ेगी सूखा।
भोगी होगा मानव, फिर भी रहेगा भूखा ।
कलियुग में हो रही, गीता की बातें उजागर।
गीता ग्रंथ है पवित्र , गीता ज्ञान का सागर ।