कलियां
बेंटियां(कलियां)
हर आँगन में खिली कली है।
कुछ मुरझायी कुछ अधखिली है।
हृदय में अभिलाषा के मोती।
प्रतिकली जीवन भर संजोती।
बिखरतें सपने टूटते दर्पण।
करती तन-मन-धन-अर्पण।
स्वभाव है इसका सवयं समर्पण।
वितरित करती खुशियां हर सू।
बिखराती मुस्कान यें हर भू।
जाने ना कोई पीड़ा इसकी।
बस मन में ही लेती सिस्की।
करे न यें प्रतिफल की इच्छा।
जीवन इसका एक समीक्षा।
सुधा भारद्वाज
विकासनगर उत्तराखण्ड