कलियाँ टूटी डाल से
कलियाँ टूटी डाल से, ….सदमे में उद्यान !
रूप बदल जब हो गया, बाग़बान शैतान !!
मानवता आहत हुई, ….कलुषित हुआ समाज !
हुआ नहीं व्यभिचार का, फिरभी अभी इलाज !!
अगर बेटियों की युँ ही, लुटे नित्य ही लाज !
तब तो मानव व्यर्थ है, …पूजा और नमाज !!
रमेश शर्मा