कला
दृष्टिपात की अद्भुत कला से
तुमने हृदय की चट्टान पर
खजुराहो उकेर दिया है,
फिर संगदिल सनम की तरह
सिर्फ मुँह ही नहीं फेरा,
उम्मीद के पन्नों पर
पानी भी फेर दिया है।
संजय नारायण
दृष्टिपात की अद्भुत कला से
तुमने हृदय की चट्टान पर
खजुराहो उकेर दिया है,
फिर संगदिल सनम की तरह
सिर्फ मुँह ही नहीं फेरा,
उम्मीद के पन्नों पर
पानी भी फेर दिया है।
संजय नारायण