कला के बिना जीवन सुना ..
कला के बिन जीवन सुना,
कला न हो तो हर गम हो जाए दूना।
कला हो पास जिसके तो ,
हर नकारात्मकता दूर भागे ।
कोई बुराई ,कोई भय या फिक्र ,
मनुष्य के मन मस्तिष्क में न जागे ।
मन मस्तिष्क लगा रहे यदि ,
रचनात्मकता के सुन्दर संसार में ।
दिन दुनिया की होश न रहे,
खोया रहे अपने ही संसार में ।
संगीत प्रेमी है यदि वो ,
नई नई स्वर लहरियों की रचना करे।
अपनी मधुर आवाज और साज से,
ईश्वर और दुनिया सबको मोहित करे।
नृत्य कला में जिसका मन ,
वोह भाव भंगिमाओं से रंग भरे ।
सुन्दर चेष्टाओ और मुद्राओं से ,
तन और मन को संगीत से एकाकार करे।
चित्र कला है रंगों का संगम ,
निर्जीव वस्तु में भी जान डाल दे ।
बोल उठे सभी रंग अपनी पूरी आभा संग ,
सारी चेतना जब कलाकार को डुबो दे।
कलाकार तो कलाकार है ,
ईश्वर की सुन्दर एक कृति ।
ईश्वर अपितु स्वयं एक कलाकार है ,
बनाई जिसने सुन्दर सृष्टि की आकृति ।
तभी तो कला और कलाकार को,
स्वयं ईश्वर का वरदान प्राप्त है।
कलाकार है सबसे महान जगत में ,
जिसके पास अपनी एक अनूठी कला है।
जिसके पास होगी कोई भी कला ,
तो हर वो मनुष्य कलाकार है ।
कला के संयोजन से जीवन धन्य ,
और मृत्यु के पश्चात भी यादगार है।
कला शाश्वत है अमर है ,
नश्वर है यह जग सारा ।
कला कलाकार को भी अमर करती ,
उसके पद चिन्हों पर चले जग सारा।
कला जीवन का दूर करे अंधियारा,
पथ प्रदर्शक बनकर राह दिखाए ।
जब हो कोई संताप या दुख क्लेश ,
इसके पहलू में आकर सब गुम हो जाए ।
कला है मां शारदे की वीणा से निकली मधुर तान ,
और गीत ,संगीत और साहित्य रचना,
सभी में मां शारदे का स्वरूप विद्यमान ।
संपत्ति से तौलकर इसे दूषित मत करो ,
और न ही करो किसी प्रकार का अभिमान ।
कला के संसर्ग मनुष्य मनुष्य नहीं रहता ,
देवता बन जाता है ।
इसीलिए हर कलाकार को सबसे पहले ,
एक आदर्श मनुष्य बनना आवश्यक है ।
तभी उसका जीवन धन्य और पूजनीय बन जाता है ।