कलरव
कलरव
पक्षियों का
कलरव
भा रहा है
मन को
हवा की
सांय-सांय
है कर्णप्रिय
इनके राग
नहीं हैं किसी
वाद से प्रेरित
नहीं हैं
सांप्रदायिक
नहीं हैं
जातिवादी
ये राग हैं
विशुद्ध प्राकृतिक
आज की
विकट परिस्थितियों
में भी
-विनोद सिल्ला©
कलरव
पक्षियों का
कलरव
भा रहा है
मन को
हवा की
सांय-सांय
है कर्णप्रिय
इनके राग
नहीं हैं किसी
वाद से प्रेरित
नहीं हैं
सांप्रदायिक
नहीं हैं
जातिवादी
ये राग हैं
विशुद्ध प्राकृतिक
आज की
विकट परिस्थितियों
में भी
-विनोद सिल्ला©