– कलयुग में ऐसे भाई नही मिलेंगे –
– कलयुग में ऐसे भाई नही मिलेंगे –
लक्ष्मण सा त्याग,
भरत सा अनुराग,
बलराम सा बलवान,
कृष्ण सा मनमोहक,
राम सा विन्रम,
इस दूसरे पर प्राण न्यौछावर करने वाले,
कुंभकर्ण से निर्भीक चाहे गलती हो भाई की,
पर भाई के लिए लड़ने और मरने की उत्सुकता,
आज कल तो इस कलयुग में मिलेंगे,
विभीषण से भेदी,
जयचंद से स्वार्थी,
दुर्योधन से दुष्ट,
सकुनी से कपटी,
भाईयो की संपत्ति को हड़पने वाले,
नीतियों में छल – कपट वाले,
दुराचारी, अत्याचारी, स्वार्थी मक्कार मिलेंगे,
मन के अच्छे व सच्चे नही मिलेंगे,
सबसे ऊपर है जिनका वर्णन कविता में भरत,
गहलोत ऐसे इस कलयुग में ना भाई मिलेंगे,
✍️ भरत गहलोत
जालोर राजस्थान