कलयुग और महाभारत
गाँधारी – दुर्योधन और कर्ण
इस कलयुग के महाभारत
जीतने की आशा में
गाँधारी ने अपने दुर्योधन को
अपना (कुटिल) तेज़ और लौह शक्ति देने को
जब अपने आँखों की पट्टी हटाई
हाय रे – दुर्योधन का दुर्भाग्य
उसमें कंद के पत्तों से
अपना सर ढक –
अपनी बुद्धि मँद कर ली
ख़ुद ही अपने कर्ण की
कवच और कुँडल छीन ली
सारे कौरव फिर एक जुट हैं
कुरूक्षेत्र में जाने को
कुछ जानबूझकर
कुछ अनजानें में
तत्पर हैं अब सर कटाने को
कई कर्ण – कलियुग दुर्योधन
का साथ दे पछतायेंगे
बिना इँद्र के छल के ही
हर कर्ण अपने प्राण गवांयेंगे
गीता वही – गीतोपदेश वही
नियती तैयार है
उस घटना को दोहराने को