कलम
कलम
मैं कलम से अलख जगाता हूँ
जगाता हूँ सोये हुए भाग्य
पीर दिलों की मिटाता हूँ
जगाता हूँ चेहरे पर मुस्कान
संवेदनाओं का समंदर करता हूँ रोशन
भटकों को राह दिखाता हूँ
रिश्तों का एक कारवाँ करता हूँ रोशन
लोगों को एक दूसरे के करीब लाता हूँ
खिलाता हूँ खुशियों के फूल जीवन के उपवन में
डूबते हुओं को मंजिल तक पहुंचाता हूँ
रूठे हुओं को मनाता हूँ
मुहब्बत का एक कारवाँ सजाता हूँ
अँधेरी कोठरी में कैद कर लिया है जिन्होंने खुद को
उनके जीवन में उम्मीद का दीपक जलाता हूँ
गीत जिन्दगी के लिखता हूँ अपनी कलम से
खुशनुमा जिन्दगी के गीत गुनगुनाता हूँ
मेरी कलम के चाहने वालों का आशीर्वाद है मुझ पर
जिन्दगी के थपेड़ों से नहीं घबराता हूँ
मेरी कलम को है उस खुदा पर एतबार
जो भी लिखता हूँ इबादत समझ गुनगुनाता हूँ