कलम है जीवन्त समाज
माँ सरस्वती की कर
वंदना
नमन करूँ शीश नाए
फिर ले कलम हाथ में
लेखन करूँ शुरूआए
विचारों पर
सीधा प्रहार करें
कलम ऐसा हथियार
देश समाज में
लाए क्रान्ति
कलम ऐसा हथियार
कलम है साथी ऐसा
नन्हे हाथों हर्षाए
जीवन-यापन का
साधन बने
परिवार सहित
मन हर्षाये
“सरफरोशी
की तमन्ना
अब हमारे
दिल में है ”
कलम की
इसी आवाज ने
झौक दी ताकत
वीर जवानों में
कलम ने रच डाले
रामायण ,
गीता ओ कुरआन
कलम तूझे है नमन
माँ शादरे तूझे नमन
स्वलिखित लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल