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12 May 2024 · 1 min read

कलम ही नहीं हूं मैं

किसी के दिल का साज हूँ
तो किसी के दिल की आवाज हूँ
किसी की नब्ज किसी की धड़कन
किसी की मंजिल का आगाज हूँ
किसी के लबों का संगीत हूँ
किसी की बिछड़ी प्रीत हूँ
किसी की नज्म का गीत हूँ
किसी की ग़ज़ल की रीत हूँ
किसी को शायरी की फनकार हूँ
किसी की साथी,सहचर,यार हूँ
किसी की मुखरित यलगार हूँ
किसी के टूटे दिल का तार हूँ

आप जो समझें आप पर छोड़ा
बस साथ देते रहें थोड़ा-थोड़ा
टूटे दिल को संबल दे जोड़ा
नहीं को हाँ तक मैंने ही मोड़ा

स्वरचित
®अनिल कुमार
‘निश्छल’
शिवनी, कुरारा
हमीरपुर(उ०प्र०)

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