कलम ये मेरी
कलम ये मेरी जाने क्या लिख रही है,
बातें वतन की सदा लिख रही है।
लिखने चला था मोहब्बत की बातें,
पर दर्द-ए-वतन की व्यथा लिख रही है।
कलम ये मेरी जाने क्या लिख रही है,
बातें वतन की सदा लिख रही है।
लिखने चला था मोहब्बत की बातें,
पर दर्द-ए-वतन की व्यथा लिख रही है।