कलम जो चली
कलम जो चली
तो मची खलबली
इसकी चपेट में आ गए क्रुर बाहुबली ।
भ्रष्टाचारी हुए बेनकाब
उन्की हालत हुई खराब
सबके ऊपर गिरी गाज़
चाहे बैठें हो जिस पद पर जनाब ।
तारीफ के काबील पे भी छोड़ी स्याही
सज़ा के काबील पे भी मड़ोरी स्याही
कलमकार की भी हुई हौसला आफजायी
जब सच्ची बात बताने कलम चली ।