कलम की दरकार
झूठ की इस महफ़िल में सच का दावेदार कोई चाहिए,
जो हर फरेब का नकाब उतार सके ऐसी इक कलम हमें चाहिए,
लिखे जो सिर्फ रिश्ते प्यार मोहब्बत के बारे में,
उस कलम से हर उस्ताद को नाता तोड़ लेना चाहिए,
चाहत है हर किसी की बदले यह समाज और सोच बदले हर किसी की,
तो पहले खुद की सोच बदलने की नीयत रखनी चाहिए,
कर सकें कटाक्ष जो हर सोच और समाज की हर तस्वीर पर,
कलम को ऐसी ताकत अब हमें देनी चाहिए,
क्या सही और गलत और बिन डरे जो देशहित की बात करें,
ऐसी दमदार कलम अब हर किसी के पास होनी चाहिए,
पर्दाफाश कर सके जो हर झूठ का और
ला सके वो बदलाव की अनोखी क्रांति,
ऐसी कलम की जरूरत आज हर समाज की होनी चाहिए