कलम का पुजारी हूँ मै
।।कलम का पुजारी हूँ मै।।
कलम का पुजारी हूँ में
माँ शारदे का अनुरागी हूँ मै
इसलिये दोस्तों बैरागी हूँ मै।
चला हूँ सभी को साथ चलते हुये
देखना चाहता हूँ सभी को बढ़ते हुये
लोभ लालच से मेरा नही वास्ता
इसलिये दोस्तों त्यागी हूँ मै।
ये दुनिया बड़ी ही स्वारथ भरी
मतलब रखें तब जरूरत पड़ी
काम आते नही अपने भी कभी-कभी
दूसरों की आशा तुम करना नही
इसलिये दोस्तों बिरागी हूँ मै।
भरोसा रहा उस मालिक का मुझे
दिया आसरा हरपल हरदिन मुझे
इसलिये दोस्तों बस उसी का अनुरागी हूँ मै।
कलम का पुजारी हूँ मै
बृन्दावन बैरागी”कृष्णा”