कलमी आजादी
देते है सम्मान अभिव्यक्ति की आजादी को
आजादी पाने मारते ठोकर सोने-चाँदी को ।
तेरे शब्द,तेरी कलम,जो तेरी अभिव्यक्ति है ।
दशा,दिशा,दुनिया,रास्ते बदलने की शक्ति है ।।
तेरी आजादी;कलम ज्यादा,कम हथियार है ।
यह कलम भी ऐसी, जैसी दुधारी तलवार है ।।
चला ले इसे सही से अगर तू सही व्यक्ति है ।
और तेरी मानवीय मूल्यों में पूरी आसक्ति हैं ।।
ये अभिव्यक्ति नही होती कभी सीमा रहित ।
तेरे से भी पहले होते है सामने वालों के हित ।।
बना के वर्चस्व, वर्चस्व तोड़ने की न सोच ।
बढ़ा समता,समानता, समरसता निसंकोच ।।
ये अपनी कलम से लिखने की पहल से ।
मिटा तो ले कुरीतियां,कुसंगतियां पटल से ।।
फिर लिख डाल नई दुनिया की नई इबारत ।
बना दे,सजा दे सपनों का एक नया भारत ।।
जहां होगा सुंदर प्यारा-न्यारा बगीचा एक ।
जिसमें महकेंगे सारे रंग-बिरंगे फूल अनेक ।।
प्रेम,मेल-जोल,भाईचारे से सजे ये गुलदस्ता ।
जहां हरएक देशवासी रहे खुश और हॅसता ।।
‘सोने की चिड़िया’ फिर एक बार चहकने दे ।
ये धरती, मातृभूमि, ये मिट्टी फिर महकने दे ।।
~०~
मौलिक एंव स्वरचित : रचना संख्या-१३
जीवनसवारो,मई २०२३.