तहरीरों में जादू
मुकद्दर जब मिरी आंखों में आंसू भेज देता है,
मिरा मौला मिरी कश्ती लबे जू भेज देता है।
सजा देता है फिक्रो फन की राहों को मिरा मौला,
क़लमकारों की तहरीरों में जादू भेज देता है।
इरादा जब भी करता हूं मैं हम्दे पाक लिखने का,
क़लम में और लफजों में वो खुश्बू भेज देता है।
अंधेरों के मनाजिर जब मिरी हस्ती में आते हैं,
मकाने दिल में रहमत के वो जुगनू भेज देता है।
मुझे अपनी खताओं पर नदामत जब भी होती है,
पशेमानी के आंखों में वो आंसू भेज देता है।
हमारी जिंदगानी की मिटा देता है तारीकी,
अंधेरी रहगुजारों में वो जुगनू भेज देता है।
मिरी हस्ती में ऐ ‘अरशद’ अंधेरे जब भी आते हैं,
खुदा तनवीर वहदत की उसी सू भेज देता है।