किए जा सितमगर सितम मगर….
किए जा सितमगर सितम मगर।
सर मेरे ये इल्जाम न कर।
जो जी में आए कर जी भर,
पर व्यर्थ मुझे बदनाम न कर।
गलती जो मुझसे हुई नहीं,
जबरन वो मेरे नाम न कर।
हँसे न जग करनी पर तेरी,
ऐसा कोई तू काम न कर।
आपस की सब बातें अपनी,
यूँ बीच सभी के आम न कर।
मुझे गिरा नज़रों में सबकी,
ऊँचा तू अपना दाम न कर।
किया भरोसा तुझ पर मैंने,
उसका यूँ कत्ले आम न कर।
देख रहा करनी वह सबकी,
विधि को अपने यूँ वाम न कर।
आजा अब तो घर तू वापस,
काली जीवन की शाम न कर।
© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद
“चयनिका” से