” ————————————- कर पायें कुछ अच्छा ” !!
है किताब में ज्ञान यही बस , करें सृजन कुछ अच्छा !
मैने भी कुछ ठान लिया है , भाव लिए कुछ अच्छा !!
नदी किनारे देखी हलचल , लहरों की अठखेली !
मूर्त रूप साकार किया है , ध्यान धरे कुछ अच्छा !!
बिन नाविक पतवार बिना ही , तैरेगी जल नौका !
लहरों से कैसे लड़ना है , सीख सकूं कुछ अच्छा !!
जहां वक़्त के पड़े थपेड़े , भंवर कई उठते हैं !
बने सन्तुलन अगर सही तो , कर पायें कुछ अच्छा !!
उम्मीदों के बलबूते पर , नाव तिरायेगें हम !
सोच अगर सच्ची रखते हैं , हो जाये सब अच्छा !!
खुद पर हमने किया भरोसा , और प्रार्थना रब से !
कामयाबी मिल जाये हमें , इससे बढ़ क्या अच्छा !!
बृज व्यास