कर दो वारे-न्यारे
जागो! वीर-सपूतों जागो, जागो माँ के प्यारे।
जो भी आँख उठाये उसके कर दो वारे-न्यारे।।
एक बार फिर पार करो हद, दुश्मन को ललकारो;
चीन खड़ा गलवान घाट पर, उसको घाट उतारो।
दौड़ा-दौड़ा कर पहले तुम, उसके घर ले जाओ;
घर आँगन में घुसके उसके, उसकी लाश बिछाओ।
ऐसा दृश्य दिखाओ सबको, काँपे दुश्मन सारे।।
जो भी आँख उठाये उसके कर दो वारे-न्यारे।।
कसम तुम्हें देती है माता,,,, वापिस घर मत आना;
आना हो तो संगी-साथी, ,,,,,, विजय तिरंगा लाना।
राखी औ सिंदूर की ताकत, दुश्मन को दिखलाओ;
किस सिंहनी का दूध पिया है, उसको भी बतलाओ।
काट-काट कर लाश-लाश पर, लिख दो हिंदी नारे।।
जो भी आंख उठाये उसके कर दो वारे-न्यारे।।
अश्वमेघ यज्ञ आज करो तुम, घोड़ा छोड़ो रण में।
भारत-भारत लिख दो वीरों विश्व-भूमि के कण में।
श्री हरि विष्णु के अवतारी फैलो सारे जग में।
तीन लोक की भूमि नापो , आज तीन ही पग में।
युगों-युगों तक अपने कर लो सूरज चाँद सितारे।
जो भी आंख उठाये उसके कर दो वारे-न्यारे।।
संतोष बरमैया जय