हर जगह मुहब्बत
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
मन मेरा गाँव गाँव न होना मुझे शहर
मजा मुस्कुराने का लेते वही...
*जल्दी उठना सीखो (बाल कविता)*
आहट
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
नज़र बचा कर चलते हैं वो मुझको चाहने वाले
प्रकृति भी तो शांत मुस्कुराती रहती है
💐प्रेम कौतुक-468💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
बुंदेली दोहा- चिलकत
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
लाखों करोड़ रुपए और 400 दिन बर्बाद करने के बाद भी रहे वो ही।
तू सच में एक दिन लौट आएगी मुझे मालूम न था…
तू ने आवाज दी मुझको आना पड़ा
तुम मेरी जिन्दगी बन गए हो।
जीवन में प्राकृतिक ही जिंदगी हैं।
Uljhane bahut h , jamane se thak jane ki,
"ओस की बूंद"
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD