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20 Jan 2017 · 1 min read

कर्म

कौन देखता है बार बार
यही सोच कर हर बार
इन्सान कर लेता है गुनाह कई बार
पड़ जाती है जब कर्मो की मार
पहुंच जाता है प्रभु के दरबार
हाथ जोड़ कर लगाता है गुहार
क्षमा के लिए करता है पुकार
बख्श दे बन्दे को इस बार
कर ले जबान पे ऐतबार
न कर अपने वज्र का प्रहार
त्याग देते हैं प्रभु दण्ड का विचार
क्षमा कर देते हैं फिर पालनहार
आ जाता है जो उनके द्वार
भर देते हैं झोलियां बेशुमार
शरणागत का कर देते हैं बेड़ा पार ।।

राज विग

Language: Hindi
363 Views
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